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Friday 13 January 2012

जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल में होगी फिल्म एकांतवासी आनंद की स्क्रीनिंग

नई दिल्ली : (प्रेमबाबू शर्मा)
27 जनवरी से जयपुर में आयोजित होने जा रहे जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल में लघु फिल्म एकांतवासी आनंद की भी स्क्रीनिंग होगी। यह जानकारी फिल्म के निर्माता,निर्देशक धर्मेन्द्र उपाध्याय दी।
फिल्म छोटी काशी के नाम से लोकप्रिय गुलाबी नगरी  जयपुर में सिथत प्राचीन मंदिरों की स्थापना और जयपुरवासियों को मिली धार्मिक विरासत को बयां करती हैं। जयपुर के परकोटे में राजाओं के काल में कर्इ मंदिरों की स्थापना हुर्इ हैं। इसी कड़ी में जयपुर सिटी पेैलेस चांदनी चौक में स्थापित प्राचीन आनंद —कृष्ण बिहारी मंदिर अपनी प्राचीनता के साथ किवंदतियों को लेकर जयपुर के श्रद्धालुओं के बीच अलहदा स्थान रखता हैं। मंदिर की स्थापना, इतिहास और मंदिर किवदंतियो को फिल्म में बखूबी से दर्शाया गया है।
श्री राधा गोविंद फिल्म्स द्वारा निर्मित डक्यूमेंट्री फिल्म फिल्म का लेखन भी निर्माण धर्मेन्द्र उपाध्याय ने किया है। फिल्म में वॉइस ऑवर शालिनी सचदेवा का हैं  । फिल्म का छायांकन और संपादन  गौतम ने किया है। फिल्म के सह निर्माता रामभरोसी लाल शर्मा हैं। 
फिल्म बनाने का मूल मकसद पतन के कागार पर खडे पौराणिक धरोहर को बचाना है। 
उल्लेखनीय है कि एकांतवासी आनंद धर्मप्रेमियों  के बीच अपनी पहचान खोते जा रहे ऐतिहासिक मंदिर के इतिहास को सामने लाने का लक्ष्य हैं। सिटी पैलेस के दूसरे छोर पर स्थापित गोविंद देव जी में मंदिर में धर्मप्रेमियों का तांता लगा रहता है पर एक छोर पर स्थापित आनंद —कृष्ण बिहारी मंदिर में विराजे भगवान श्री आनंद —कृष्ण अपने दर पर श्रद्धालुओं के आने की बाट जोहते हैं। वर्तमान में देवस्थान विभाग के अधीनस्थ आनंद —कृष्ण बिहारी मंदिर की स्थापना राजा प्रताप सिंह के शासन काल में उनकी पत्नी आंनदी बार्इ ने करवार्इ थी। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय राजा प्रताप सिंह के मंदिर प्रांगण में ही निधन हो जाने के कारण राज दरबार की उपेक्षा का शिकार हो गया। 
धर्मेन्द्र  के मुताबिक, फिल्म एकांतवासी आनंद जयपुर  जयपुर राजघराने द्वारा स्थापित मंदिर के इतिहास के साथ उसके एंकांत में होने की मार्मिक कहानी को प्रकट करती है। जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल में फिल्म की स्क्रीनिंग से हजारों फिल्म प्रेमीयों को मंदिर के इतिहास से रूबरू होने के साथ जयपुर की धार्मिक विरासत को जानने का मौका मिलेगा।  
धर्मेन्द्र इससे पूर्व में राजस्थान फैली नाता प्रथा से प्रभावित बच्चों पर भी फिल्म लास्ट मदरहुड बना चुके है। धर्मेन्द्र उपाध्याय के मुताबिक, सिनेमा समाज का दर्पण हैं,  इसलिए कोर्इ भी सब्जेक्ट अगर शिíत के साथ जनता के समक्ष पेश किया जाए तो उसका समाज पर असर जरूर होता हैं। मैंने दो साल पहले राजस्थान में नाता प्रथा से प्रभावित बच्चों पर फिल्म लास्टल मदरहुड का निर्माण निर्देशन किया । फिल्म के क्रिटिकली सक्सेज के साथ  ही सरकारी हलकों मे इसका असर हुआ और विधान सभा में नाता प्रथा से प्रभावित इन बच्चों की समस्या पर सवाल गूंजे। वर्तमान में नाता प्रथा के शिकार बच्चों के 18 वर्ष होने तक भरण पोषण की जिम्मेदारी राजस्थान सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने ले ली है।

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