Ad Maya

Sunday 4 March 2012

ये अखबार वाले हैं इन पर दया करो।।।


जो देगा उसका भी भला और जो नहीं देगा उसको नहीं मिलेगा।
मुजफ्फरनगर । इसे आप एंजेसी होल्डरों की धींगामस्ती कहे या फिर होकरों की मजबूरी कि ग्राहकों से सर्विस टैक्स के नाम पर प्रतिमाह दस रुपये अतिरिक्त लिये जा रहे हैं। किसी भी एक अखबार बाजार में एक रुपये से तीन रुपये के बीच कीमत है। अखबार कोई भी हो, एक रुपये वाला हो या फिर तीन रुपये वाला। लेकिन ये होकरों का ये सर्विस टैक्स सभी पर बराबर लगाया जा रहा है। इतना ही नहीं किसी घर में अगर तीन अखबार आ रहे हैं तो उन पर तीन टैक्स यानि दस रुपये के हिसाब से तीस रुपये प्रतिमाह ग्राहक को देना मजबूरी बन गया है। आलम ये है कि कुछ लोगों ने इसे अवैध उगाही का नाम देते हुए अखबार पढऩा ही छोड़ दिया है। तो किसी ग्राहक को ये दस रुपये न दिए जाने पर होकरों द्वारा ही अखबार की सप्लाई बंद कर दी गई है। अखबार वितरकों की दलीले है कि होकर आंधी-बरसात, सर्दी हो या गर्मी, ग्राहकों को हर मौसम में सुबह सवेरे होकर सप्लाई करते है। जिसके चलते माह में एक बार दस रुपये देना ग्राहकों के लिए कोई बड़ी बात नहीं है।
इस संबंध में एंजेसी होल्डरों और होकरों की एक मिटिंग हुई थी। जिसमें ये निर्णय लिया गया। जिसके चलते पंफलेट अखबार के अंदर ड़ालकर ग्राहकों से दस रुपये प्रतिमाह देने की गुजारिश की गई। सूत्रों की माने तो होकरों ने कम कमीशन दिए जाने पर रोष पकड़ करते हुए एंजेसी होल्डरों के माध्यम से अखबारों को कमीशन बढ़ाए जाने की मांग की थी। लेकिन होल्डरों ने अपने हाथ खड़े कर दिये और इस मिटिँग में 'सर्विस टैक्सÓ का ये प्रस्ताव पारित किया गया। कुछ होकरों का कहना है कि सर्विस टैक्स के रुप में लिए गए इन दस रुपयों में से पांच रुपये एंजेंसी होल्डरों को भी देने पड़ते है। कमाल है भई??

No comments:

Post a Comment